जाने क्यूँ मैं तुझको दिन-रात सोचता हूँ
जाने क्यूँ मैं तेरी हर बात सोचता हूँ
ये पागलपन है या प्यार है? ये कैसा मुझपे ख़ुमार है?
हर पल हो तुझसे मेरी मुलाक़ात सोचता हूँ
जाने क्यूँ मैं तुझको दिन-रात सोचता हूँ
तेरे ख़यालों में खोए रहना, मेरा काम अब यही है
ये जान ले तू कि पागल दिल का पैग़ाम अब यही है
...पैग़ाम अब यही है
हो जाए शायद कोई करामात सोचता हूँ
जाने क्यूँ मैं तुझको दिन-रात सोचता हूँ
जाने क्यूँ मैं तेरी हर बात सोचता हूँ
मिलने को अक्सर मिली तू मुझसे, फिर भी हैं फ़ासले क्यूँ?
दिल की लगी ने बनाए हैं ये बेनाम सिलसिले क्यूँ?
...बेनाम सिलसिले क्यूँ?
"बदलेंगे कैसे अब ये हालात?" सोचता हूँ
जाने क्यूँ मैं तुझको दिन-रात सोचता हूँ
जाने क्यूँ मैं तेरी हर बात सोचता हूँ
ये पागलपन है या प्यार है? ये कैसा मुझपे ख़ुमार है?
हर पल हो तुझसे मेरी मुलाक़ात सोचता हूँ
जाने क्यूँ मैं तेरी हर बात सोचता हूँ
ये पागलपन है या प्यार है? ये कैसा मुझपे ख़ुमार है?
हर पल हो तुझसे मेरी मुलाक़ात सोचता हूँ
जाने क्यूँ मैं तुझको दिन-रात सोचता हूँ
तेरे ख़यालों में खोए रहना, मेरा काम अब यही है
ये जान ले तू कि पागल दिल का पैग़ाम अब यही है
...पैग़ाम अब यही है
हो जाए शायद कोई करामात सोचता हूँ
जाने क्यूँ मैं तुझको दिन-रात सोचता हूँ
जाने क्यूँ मैं तेरी हर बात सोचता हूँ
मिलने को अक्सर मिली तू मुझसे, फिर भी हैं फ़ासले क्यूँ?
दिल की लगी ने बनाए हैं ये बेनाम सिलसिले क्यूँ?
...बेनाम सिलसिले क्यूँ?
"बदलेंगे कैसे अब ये हालात?" सोचता हूँ
जाने क्यूँ मैं तुझको दिन-रात सोचता हूँ
जाने क्यूँ मैं तेरी हर बात सोचता हूँ
ये पागलपन है या प्यार है? ये कैसा मुझपे ख़ुमार है?
हर पल हो तुझसे मेरी मुलाक़ात सोचता हूँ
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