
Shart Sonu Nigam
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सड़कों पे चाहे महलों में रहे
जितने भी चाहे पहरों में रहे
कोई हमें कभी कर पाए ना जुदा
गिरजा में नहीं मंदिर नहीं
किसी दरगाह के दर पर नहीं
देखा मैने तेरे चेहरे में ही खुदा
अपने मिलन की कहानी
अधूरी रही तो अधूरी सही
तेरे अलावा न चाहूँ किसी को
ये शर्त खुद से रखी
मैने शर्त खुद से रखी
सड़कों पे चाहे...
Sadkon pe chahe mehlon mein rahein
Jitne bhi chahe pehron mein rahein
Koi humein kar paye na judaa
Girja mein nahi mandir nahi
Kisi dargah ke dar par nahi
Dekha maine tere chehre mein hi khuda
नज़दीक से चाहतों के
दावे तो हमने किए
पर दूर रहके ही समझे
तुम क्या हो मेरे लिये
हो नज़दीक से...
इक बार तुमसे बिछड़े तो जाना
क़ीमत है क्या प्यार की
तेरे अलावा न चाहूँ...
जितने भी चाहे पहरों में रहे
कोई हमें कभी कर पाए ना जुदा
गिरजा में नहीं मंदिर नहीं
किसी दरगाह के दर पर नहीं
देखा मैने तेरे चेहरे में ही खुदा
अपने मिलन की कहानी
अधूरी रही तो अधूरी सही
तेरे अलावा न चाहूँ किसी को
ये शर्त खुद से रखी
मैने शर्त खुद से रखी
सड़कों पे चाहे...
Sadkon pe chahe mehlon mein rahein
Jitne bhi chahe pehron mein rahein
Koi humein kar paye na judaa
Girja mein nahi mandir nahi
Kisi dargah ke dar par nahi
Dekha maine tere chehre mein hi khuda
नज़दीक से चाहतों के
दावे तो हमने किए
पर दूर रहके ही समझे
तुम क्या हो मेरे लिये
हो नज़दीक से...
इक बार तुमसे बिछड़े तो जाना
क़ीमत है क्या प्यार की
तेरे अलावा न चाहूँ...
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