[Raftaar & Nawazuddin Siddiqui "Mantoiyat" के बोल]

[Intro: Nawazuddin Siddiqui]
Raftaar
सवाल यह है कि जो चीज़ जैसी है
उसे वैसे ही पेश क्यों ना किया जाए
मैं तो बस अपनी कहानियों को एक आईना समझता हूँ
जिसमे समाज अपने आप को देख सके, देख सके

[Verse 1: Raftaar]
हाँ, आईना ना देखना चाहे समाज मेरा
हाँ, पूछे मेरा कल, ना देखते यह आज मेरा
खोदते-खरोंदते यह मेरी गलतियां
मैं भी चल दिया, मेरी सोच पे है राज मेरा
कान बंद, आँखें बंद, इनके मुंह पे ताले
इनमें ज़ोर ना कि सत्य पे प्रकाश डाले
बोले सच जो उसके चेहरे पे तेज़ाब डाले
घूमे फिर खुले में और जले जो वो नकाब डाले
Off, off, off है, दिमाग सबका off है
"ज़माना क्या कहेगा", इसका ही तो सबको खौफ़ है
दबके जीते हैं, दबाने के यह आदी हैं
Sex निषेद है तो इतनी क्यों आबादी है?
लोग यह है आत्मा से खोखले
खुद करे तो ठीक, बाकी गलत..., दोगले!
गाली दे दूँ हिंदी में तो बोले ऐसा क्यों किया
Fuck क्यों है cool, जाने गलत क्यों है चूतिया
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