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Fakeera Ghar Aaja - Jubin Nautiyal
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Fakeera Ghar Aaja Jubin Nautiyal

Fakeera Ghar Aaja - Jubin Nautiyal
तुझको याद है बता
भूली बिसरी वो जगह
उसमें लिपटी वो सुबहा
उस एक आँगन को बना
तू ज़मीं और आसमां
फिरता क्यूँ है यूँ तन्हा

तू ही जो दरमियां है
तुझ में और आशियाँ में
कर दे कम फासले तू ओ
दस्तक तू दे यहाँ पे
सुनते हैं दर वहाँ पे
कर दे कम फासले ज़रा

तू छोड़ ज़िद को
फ़कीरा घर आजा
फ़कीरा घर आजा
फ़कीरा घर आ जा

अजनबी, शहरों की तू
क्यूँ बाहों में सोए
यूँ गिनता सितारे
मजधार, की है आदत
पास में ही थे हमेशा किनारे

तूने दिल पे था लिखा
तेरे घर का पता
सीधे अक्षरों में यूँ
क्यूँ अकेला इस तरह
बन्धनों की डोरियाँ
उड़ता दिल का पतंगा
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