0
Nikle The Kabhi Hum Ghar - Sonu Nigam
0 0

Nikle The Kabhi Hum Ghar Sonu Nigam

На этой странице вы найдете полный текст песни "Nikle The Kabhi Hum Ghar" от Sonu Nigam. Lyrxo предлагает вам самый полный и точный текст этой композиции без лишних отвлекающих факторов. Узнайте все куплеты и припев, чтобы лучше понять любимую песню и насладиться ею в полной мере. Идеально для фанатов и всех, кто ценит качественную музыку.
Nikle The Kabhi Hum Ghar - Sonu Nigam
निकले थे कभी हम घर से
घर दिल से मगर नहीं निकला
घर बसा है हर धड़कन में
क्या करें हम ऐसे दिल का?

बड़ी दूर से आए हैं, बड़ी देर से आए हैं
पर ये ना कोई समझे, हम लोग पराए हैं
कट जाए पतंग जैसे और भटके हवाओं में
सच पूछो तो ऐसे दिन हमने बिताए हैं
पर ये ना कोई समझे, हम लोग पराए हैं

यही नगर, यही है बस्ती, आँखें थीं जिसे तरसती
यहाँ ख़ुशियाँ थीं कितनी सस्ती
जानी-पहचानी गलियाँ, लगती हैं पुरानी सखियाँ
कहाँ खो गईं वो रंग-रलियाँ

बाज़ार में चाय के ढाबे
बेकार के शोर-शराबे
वो दोस्त, वो उनकी बातें
वो सारे दिन, सब रातें

कितना गहरा था ग़म इन सब को खोने का
ये कह नहीं पाएँ हम, दिल में ही छुपाए हैं
पर ये ना कोई समझे, हम लोग पराए हैं

निकले थे कभी हम घर से
घर दिल से मगर नहीं निकला
घर बसा है हर धड़कन में
क्या करें हम ऐसे दिल का?
Комментарии (0)
Минимальная длина комментария — 50 символов.
Информация
Комментариев пока нет. Вы можете быть первым!
Войти Зарегистрироваться
Войдите в свой аккаунт
И получите новые возможности