बाबा लौटा दे मोहे गुडिया मोरी
अंगना का झूलना भि
इमली की दार वाली मुनिया मोरी
चांदी का पैंजना भि
इक हाथ मै चिंगारीया
इक हाथ मै साज है
हंसे की है आदत हमे
हर घम पे भि नाज है
आज अपने तमाशे पे मेहफिल को
करके रहेंगे फिदा
जब तलक ना करे जिस्म से जान
होगी नही ये जुदा
मंझूर-ए-खुदा
मंझूर-ए-खुदा
अंजाम होगा हमारा जो है
मंझूर-ए-खुदा
मंझूर-ए-खुदा ……
मंझूर-ए-खुदा ………
तुटे सितारो से रोशन हुआ है
नूर-ए-खुदा
हो चार दीन की गुलामी
अंगना का झूलना भि
इमली की दार वाली मुनिया मोरी
चांदी का पैंजना भि
इक हाथ मै चिंगारीया
इक हाथ मै साज है
हंसे की है आदत हमे
हर घम पे भि नाज है
आज अपने तमाशे पे मेहफिल को
करके रहेंगे फिदा
जब तलक ना करे जिस्म से जान
होगी नही ये जुदा
मंझूर-ए-खुदा
मंझूर-ए-खुदा
अंजाम होगा हमारा जो है
मंझूर-ए-खुदा
मंझूर-ए-खुदा ……
मंझूर-ए-खुदा ………
तुटे सितारो से रोशन हुआ है
नूर-ए-खुदा
हो चार दीन की गुलामी
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