तेरे ही ज़िक्र की जासूसी
मेरी खामोशी है
रहूँ मैं चुप क्यूँ
बातूनी मेरी खामोशी है
जलते बुझते हर्फ़ हैं जो
होठों पे ये बर्फ क्यूँ हो
इन सवालों का तू जवाब है
सुन ज़रा
तेरे ही ज़िक्र की जासूसी
मेरी खामोशी है
रहूँ मैं चुप क्यूँ
बातूनी मेरी खामोशी है
दिल तेरा चकोरे सा भागा क्यूँ है
चाँद बगल में तेरा
कंधों पे ये ख्वाब ऐसा लदा क्यूँ है
तकिये पे रख तो ज़रा
छुपे हैं जो दिल के
सुराग दिखा दूँ तुझे
तेरे ही ज़िक्र की जासूसी
मेरी खामोशी है
रहूँ मैं चुप क्यूँ
बातूनी मेरी खामोशी है
मेरी खामोशी है
रहूँ मैं चुप क्यूँ
बातूनी मेरी खामोशी है
जलते बुझते हर्फ़ हैं जो
होठों पे ये बर्फ क्यूँ हो
इन सवालों का तू जवाब है
सुन ज़रा
तेरे ही ज़िक्र की जासूसी
मेरी खामोशी है
रहूँ मैं चुप क्यूँ
बातूनी मेरी खामोशी है
दिल तेरा चकोरे सा भागा क्यूँ है
चाँद बगल में तेरा
कंधों पे ये ख्वाब ऐसा लदा क्यूँ है
तकिये पे रख तो ज़रा
छुपे हैं जो दिल के
सुराग दिखा दूँ तुझे
तेरे ही ज़िक्र की जासूसी
मेरी खामोशी है
रहूँ मैं चुप क्यूँ
बातूनी मेरी खामोशी है
Comments (0)
The minimum comment length is 50 characters.