न डरों अरि सो जब जाय लरों
निसचै करि अपुनी जीत करों
न डरों अरि सो जब जाय लरों
निसचै करि अपुनी जीत करों
निसचै करि अपुनी जीत करों
निसचै करि अपुनी जीत करों
देह शिवा बरु मोहि इहै
सुभ करमन ते कबहूं न टरों
देह शिवा बरु मोहि इहै
सुभ करमन ते कबहूं न टरों
अरु सिख हों अपने ही मन कौ
अरु सिख हों अपने ही मन कौ
इह लालच हउ गुण तउ उचरों
जब आव की अउध निदान बनै
अति ही रण मैं तब जूझ मरों
बोले सो निहाल, सत श्री अकाल
बोले सो निहाल, सत श्री अकाल
निसचै करि अपुनी जीत करों
न डरों अरि सो जब जाय लरों
निसचै करि अपुनी जीत करों
निसचै करि अपुनी जीत करों
निसचै करि अपुनी जीत करों
देह शिवा बरु मोहि इहै
सुभ करमन ते कबहूं न टरों
देह शिवा बरु मोहि इहै
सुभ करमन ते कबहूं न टरों
अरु सिख हों अपने ही मन कौ
अरु सिख हों अपने ही मन कौ
इह लालच हउ गुण तउ उचरों
जब आव की अउध निदान बनै
अति ही रण मैं तब जूझ मरों
बोले सो निहाल, सत श्री अकाल
बोले सो निहाल, सत श्री अकाल
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