0
Khamoshi - Munawar Faruqui & Farhan Khan
0 0

Khamoshi Munawar Faruqui & Farhan Khan

На этой странице вы найдете полный текст песни "Khamoshi" от Munawar Faruqui & Farhan Khan. Lyrxo предлагает вам самый полный и точный текст этой композиции без лишних отвлекающих факторов. Узнайте все куплеты и припев, чтобы лучше понять любимую песню и насладиться ею в полной мере. Идеально для фанатов и всех, кто ценит качественную музыку.
Khamoshi - Munawar Faruqui & Farhan Khan
[Munawar Faruqui & Farhan Khan "Khamoshi" के बोल]

[Pre-Chorus: Munawar Faruqui]
कुछ तो तू भी कह दे, ख़ामोशी तेरी आती है तूफ़ान ले के
कश्ती को किनारे दे, डूबा दे या फिर तू मुझे तेरी पनाह में ले के।

[Chorus: Farhan Khan]
जो लौटेगी तो इंतज़ार देदे, रातें कटती नहीं, दिन भी इम्तिहान लेते
ये मेरे हाल-ए-दिल की तुझे ज़िम्मेदार कहते
ये बेख़बर मैं ज़िंदा हूँ तेरे ही आसरे पे

[Verse 1: Munawar Faruqui]
फासलों से यह मोहब्बत कभी कम ना होगी
लूटा दूं खुद को वादों पे तो फिर कसर क्या होगी?
असर ना होगी कोई दवा भी मुझ दीवाने पे, गवाह हैं रातें तेरे बिन जो अब बशर ना होगी
बारिशों में अब मैं झूमूं कैसे?
बसा तू आँखों में, तो आँखों को मैं किसे चूमूं कैसे?
हाथ कांपे मेरे, छू लूं कैसे?
सब्र जो सीखे तुझसे, उनको अब मैं भूलूं कैसे?
जलते हैं आशिक़ जब जाके बनता है काजल तेरा
दिल ये दफ़न कफ़न बना लिया है आँचल तेरा
रोता है बादल, रूठा बैठा मुझसे सावन मेरा
ज़ुल्फ़ों को छूना चाहता फिर से, तेरी पागल केहरा
तू बहती नदी सी, हूँ रुका हुआ मैं
है तू मुकम्मल सी, और टूटा हुआ मैं
ना तेरे आगे कोई वजूद है मेरा
खज़ाने सी है तू, लूटा हुआ मैं
वो ग़म भुलाने को देते शराब खोल के
पर पीना तेरे हाथ से, तू दे ज़हर को खोल के
क्यों हिचकियाँ? क्यों यादें? क्यों चेहरा ना भूल पाते?
मुझे दे निजात ऐसी, मेरी रूह जिस्म को छोड़ दे
करवटो का हिसाब करके बैठा
मैं राजदार, राज तेरे हूँ छुपा के रहता
ना गर्ज़ है मुझे किसी की परछाई की
मैं बाद तेरे ख़ुद के सायों से जुदा हूँ रहता, कुछ तो कह जा
Комментарии (0)
Минимальная длина комментария — 50 символов.
Информация
Комментариев пока нет. Вы можете быть первым!
Войти Зарегистрироваться
Войдите в свой аккаунт
И получите новые возможности