[Chorus]
सांसें चलती नहीं है तो
आने दे आने दे आने दे
तेरे दर पे जो सांस निकल गई तो
जाने दे जाने दे जाने दे
[Verse 1]
मुझे और न कोई फासले दे (फासले दे)
चाहे तो तू मेरी सांस लेले (सांस लेले)
घर से दूर रहा
घर वाले गिला करते
दोस्तों से ज़्यादा हम
दुश्मनों से मिला करते
जितनी ज़िददै भरू
उतना सीना भारी होता
पीठ पीछे ख़न्जर
पकड़े तभी वो लिखारी होता
अपने दैन मलामतें
और ग़ैर दे दिलासे
मेरे पैर परे पानी में
और पास वाले प्यासे
कहूं के लौटा दे मुझे
क़र्ज़ जो मेरे हाथों में
फ़र्ज़ जो के निभाते रे
तरस वो मुझपे खाते रे
मर्ज़ कोई दवा दे दे
बस अब मुझे जाने दे
के दरिया अब ये डूबा जारा
सीने में है ख़ून भरा वा
मैं सही ग़लत की लकीर
पे रख के पैर खड़ा
ऐसे धक्के चेहरे के
निगाह में मेरी ज़हर भरा
सूरज नहीं देखा कबसे
आज़ां ही दिला दो
मैं शहर जैसा हो जाऊं
तो ये शहर ही जला दो
माफ़ी देदी सबको के क्या
करना बताइन खींच के
और कंधे पे शैतान
बोले रग्गर दे ज़मीन पे
क़बर में ढ़केलने को
राज़ी हर एक शख़्स है
मैं देखूं जो आइना
किसी और का अक्स है
सांसें चलती नहीं है तो
आने दे आने दे आने दे
तेरे दर पे जो सांस निकल गई तो
जाने दे जाने दे जाने दे
[Verse 1]
मुझे और न कोई फासले दे (फासले दे)
चाहे तो तू मेरी सांस लेले (सांस लेले)
घर से दूर रहा
घर वाले गिला करते
दोस्तों से ज़्यादा हम
दुश्मनों से मिला करते
जितनी ज़िददै भरू
उतना सीना भारी होता
पीठ पीछे ख़न्जर
पकड़े तभी वो लिखारी होता
अपने दैन मलामतें
और ग़ैर दे दिलासे
मेरे पैर परे पानी में
और पास वाले प्यासे
कहूं के लौटा दे मुझे
क़र्ज़ जो मेरे हाथों में
फ़र्ज़ जो के निभाते रे
तरस वो मुझपे खाते रे
मर्ज़ कोई दवा दे दे
बस अब मुझे जाने दे
के दरिया अब ये डूबा जारा
सीने में है ख़ून भरा वा
मैं सही ग़लत की लकीर
पे रख के पैर खड़ा
ऐसे धक्के चेहरे के
निगाह में मेरी ज़हर भरा
सूरज नहीं देखा कबसे
आज़ां ही दिला दो
मैं शहर जैसा हो जाऊं
तो ये शहर ही जला दो
माफ़ी देदी सबको के क्या
करना बताइन खींच के
और कंधे पे शैतान
बोले रग्गर दे ज़मीन पे
क़बर में ढ़केलने को
राज़ी हर एक शख़्स है
मैं देखूं जो आइना
किसी और का अक्स है
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