
Bhigee Hui Koi Javed Ali & Sunidhi Chauhan
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[Chorus]
भीगी हुई कोई शाम वो
महका हुआ कोई नाम वो
बिन बात ही होती हैं नीलाम वो
मशहूर हैं फिर भी बदनाम वो
जाने हुआ हैं आज क्या हमें ना हम जाने
क्यों हमको याद आये वो
[Verse 1]
अब इस तरह उसको सोचता हूँ
गुजरे हुए वो पल रोकता हूँ
वो पल कही खो गए हैं जो अपने
और साथ भी हो गए हैं जो सपने
जाने हुआ हैं आज क्या हमें ना हम जाने
क्यों हमको याद आये वो
[Verse 2]
वो रौशनी, वो आग हैं या फिर कोई चिराग हैं?
जिसे धीरे-धीरे हैं जलना
जिसे इस तरह ही हैं चलना
किसी मोड़ पे वो आज भी कंदील सी जलेगी
शहर की धुप सी बेवक्त ही ढलेगी क्यों हमको याद
क्यों हमको याद आये वो
[Chorus]
भीगी हुई कोई शाम वो
महका हुआ कोई नाम वो
बिन बात ही होती हैं नीलाम वो
मशहूर हैं फिर भी बदनाम वो
जाने हुआ हैं आज क्या हमें ना हम जाने
क्यों हमको याद आये वो
भीगी हुई कोई शाम वो
महका हुआ कोई नाम वो
बिन बात ही होती हैं नीलाम वो
मशहूर हैं फिर भी बदनाम वो
जाने हुआ हैं आज क्या हमें ना हम जाने
क्यों हमको याद आये वो
[Verse 1]
अब इस तरह उसको सोचता हूँ
गुजरे हुए वो पल रोकता हूँ
वो पल कही खो गए हैं जो अपने
और साथ भी हो गए हैं जो सपने
जाने हुआ हैं आज क्या हमें ना हम जाने
क्यों हमको याद आये वो
[Verse 2]
वो रौशनी, वो आग हैं या फिर कोई चिराग हैं?
जिसे धीरे-धीरे हैं जलना
जिसे इस तरह ही हैं चलना
किसी मोड़ पे वो आज भी कंदील सी जलेगी
शहर की धुप सी बेवक्त ही ढलेगी क्यों हमको याद
क्यों हमको याद आये वो
[Chorus]
भीगी हुई कोई शाम वो
महका हुआ कोई नाम वो
बिन बात ही होती हैं नीलाम वो
मशहूर हैं फिर भी बदनाम वो
जाने हुआ हैं आज क्या हमें ना हम जाने
क्यों हमको याद आये वो
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