
Chhod Diya Arijit Singh
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छोड़ दिया वो रास्ता
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे
छोड़ दिया वो रास्ता
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे
तोड़ दिया वो आईना
जिस आईने में तेरा अक्स दिखे
मैं शहर में तेरे था गैरों सा
मुझे अपना कोई ना मिला
तेरे लम्हों से, मेरे ज़ख्मों से
अब तो मैं दूर चला
रुख ना किया उन गलियों का
जिन गलियों में तेरी बातें हो
छोड़ दिया वो रास्ता
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे
मैं था मुसाफ़िर राह का तेरी
तुझ तक मेरा था दायरा
मैं था मुसाफ़िर राह का तेरी
तुझ तक मेरा था दायरा
मैं भी कभी था मेहबर तेरा
खानाबदोश मैं अब ठेहरा
खानाबदोश मैं अब ठेहरा
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे
छोड़ दिया वो रास्ता
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे
तोड़ दिया वो आईना
जिस आईने में तेरा अक्स दिखे
मैं शहर में तेरे था गैरों सा
मुझे अपना कोई ना मिला
तेरे लम्हों से, मेरे ज़ख्मों से
अब तो मैं दूर चला
रुख ना किया उन गलियों का
जिन गलियों में तेरी बातें हो
छोड़ दिया वो रास्ता
जिस रास्ते से तुम थे गुज़रे
मैं था मुसाफ़िर राह का तेरी
तुझ तक मेरा था दायरा
मैं था मुसाफ़िर राह का तेरी
तुझ तक मेरा था दायरा
मैं भी कभी था मेहबर तेरा
खानाबदोश मैं अब ठेहरा
खानाबदोश मैं अब ठेहरा
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