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Hazaron Khwahishen Aisi (Lofi) - Jagjit Singh
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Hazaron Khwahishen Aisi (Lofi) Jagjit Singh

Hazaron Khwahishen Aisi (Lofi) - Jagjit Singh
हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देखकर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले

ख़ुदा के वास्ते पर्दा न काबे इसे उठा ज़ालिम
ख़ुदा के वास्ते पर्दा न काबे इसे उठा ज़ालिम
कहीं ऐसा ना हो या भी वही काफ़िर सनम निकले

हज़ारों ख़्वाहिशें ऐसी कि हर ख़्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान, लेकिन फिर भी कम निकले
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