कुछ तो थी अकल दिल में
होके बेदख़ल दिल ने
शेख़ी मार के हम से
सब कुछ हार के फिर से
ख़ाबों की खुरचन से दिन ये कुरेदा है
गुत्थी ये खोली है तुम ने, हम ने
रूमानी सा, रूमानी सी
तू और मैं, मैं और तू
रूमानी सा, रूमानी सी
दिल और हर जुस्तजू
वादों के खुले बस्ते
महँगे दाम पे सस्ते
मिलते हैं जहाँ हम को
वो हैं इश्क़ के रस्ते
वहाँ दोपहरों से (वहाँ दोपहरों से)
ख़स्ती-करारी सी (ख़स्ती-करारी सी)
धूप उतारेंगे, तू जो कह दे
रूमानी सा, रूमानी सी
तू और मैं, मैं और तू
रूमानी सा, रूमानी सी
दिल और हर जुस्तजू
होके बेदख़ल दिल ने
शेख़ी मार के हम से
सब कुछ हार के फिर से
ख़ाबों की खुरचन से दिन ये कुरेदा है
गुत्थी ये खोली है तुम ने, हम ने
रूमानी सा, रूमानी सी
तू और मैं, मैं और तू
रूमानी सा, रूमानी सी
दिल और हर जुस्तजू
वादों के खुले बस्ते
महँगे दाम पे सस्ते
मिलते हैं जहाँ हम को
वो हैं इश्क़ के रस्ते
वहाँ दोपहरों से (वहाँ दोपहरों से)
ख़स्ती-करारी सी (ख़स्ती-करारी सी)
धूप उतारेंगे, तू जो कह दे
रूमानी सा, रूमानी सी
तू और मैं, मैं और तू
रूमानी सा, रूमानी सी
दिल और हर जुस्तजू
Comments (0)
The minimum comment length is 50 characters.