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Kaise Koi Jiye - Geeta Dutt
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Kaise Koi Jiye Geeta Dutt

Kaise Koi Jiye - Geeta Dutt
कैसे कोई जिये
कैसे कोई जिये ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफ़ान वो, उठा तूफ़ान नाच के
सब बुझ गये दिये, कैसे कोई जिये

कैसे कोई जिये ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफ़ान वो, उठा तूफ़ान नाच के
सब बुझ गये दिये, कैसे कोई जिये

बादल है या धुवा आरा लगी कहा
जलता ना हो कहीं मेरा ही आशिया
अन्गारे थे आँसू नहीं वो, दिल ने जो पिये

कैसे कोई जिये ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफ़ान वो, उठा तूफ़ान नाच के
सब बुझ गये दिये, कैसे कोई जिये

तारे ना जानें ऊँचाई गगन की
आँखें ना समझें गहराई मन की, गहराई मन की
तारे ना जानें प्यासे पपीहे ने आस थी बाँधी
उड़ गये बादल आ गयी आँधी
ग़म ने जो छेड़ा दिल ने हँसी से हाँठ सी लिये

कैसे कोई जिये ज़हर है ज़िंदगी
उठा तूफ़ान वो, उठा तूफ़ान नाच के
सब बुझ गये दिये, कैसे कोई जिये
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