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Ek Mulaqaat - Vishal Mishra
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Ek Mulaqaat Vishal Mishra

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Ek Mulaqaat - Vishal Mishra
वाक़िफ़ नहीं है तू मुझसे, ओ, सनम
जितना दर्द दोगे, रहेगा उतना कम
जाने, हुई कैसे ये दूरियाँ
जितना तू तड़पे, उतना तड़पे हैं हम

ज़िंदा रहने के लिए, तेरी क़सम
ज़िंदा रहने के लिए, तेरी क़सम
एक मुलाक़ात ज़रूरी है, सनम
एक मुलाक़ात ज़रूरी है, सनम

इससे पहले के ये साँसें हो ख़तम
इससे पहले के ये साँसें हो ख़तम
एक मुलाक़ात ज़रूरी है, सनम
एक मुलाक़ात ज़रूरी है, सनम

"रब्बा", "रब्बा" करता है दर्द-दर्द
मेरा दुनिया क्यूँ ना समझे इश्क़-इश्क़
मेरा किसी को कभी ना मिले यारा से जुदाई

मेरा नहीं, मेरा नहीं वक़्त-वक़्त
मेरा टूटे नहीं, टूटे नहीं सब्र-सब्र
तेरा मरके भी करूँगा ना तुझसे बेवफ़ाई

वक़्त लगता है, ज़रा सी देर होती है
कभी तो सौ जनम भी कम पड़ जाते हैं
मैं समझती हूँ, मगर, ये दिल नहीं समझे
लहर से क्यूँ किनारे मिल ना पाते हैं
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