अगर वह पूछ ले हमसे के किस बात का ग़म है?
अगर वह पूछ ले हमसे, अगर वह पूछ ले हमसे
अगर वह पूछ ले हमसे, क्यूँ रातें बेदार करते हो?
क्यूँ साए से डरते हो, क्यूँ ख़ामोश रहते हो?
अगर वह पूछ ले हमसे
अगर वह पूछ ले हमसे, क्यूँ बातें कम करदी?, क्यूँ हक़ जताना कम करदिया?
क्यूँ अब मेरी गली में नहीं आते?
क्यूँ अब नज़रे मिला के नहीं मिलाते?
अगर वह पूछ ले हमसे, अगर वह पूछ ले हमसे
अगर वह पूछ ले हमसे, क्यूँ शामें अब मेरी आँखों में डूबती हैं?
क्यूँ चाँद तन्हा डूबा करता है?
क्यूँ आवाज़े तन्हाई में गूँजती हैं तुम्हारी?
क्यूँ तस्वीर तुम्हारी हर जगह दिखती हैं तुम्हारी?
अगर वह पूछ ले हमसे अगर वह पूछ ले हमसे
क्यूँ ख्वाबों की ताबीर नहीं मिलती तुम्हारी?
क्यूँ अब कोई ख़बर नहीं मिलती तुम्हारी?
क्यूँ शब-ए-ग़म का जुनून रहता है?
क्यूँ बे-सुकून का सुकून रहता है?
अगर वह पूछ ले हमसे
अगर वह पूछ ले हमसे
क्यूँ ज़िन्दगी जीते नहीं गुज़ार रहे हो?
क्यूँ ख़्वाबों को अपने मार रहे हो?
क्या तुम्हें वाज़िद इतना अज़ीज़ हैं?
वो एक शख़्स इतना मज़ीद हैं
आओ उसे मिला दे तुम्हें
ताबीर दिखा दे तुम्हें
अगर वह पूछ ले हमसे, अगर वह पूछ ले हमसे
अगर वह पूछ ले हमसे, क्यूँ रातें बेदार करते हो?
क्यूँ साए से डरते हो, क्यूँ ख़ामोश रहते हो?
अगर वह पूछ ले हमसे
अगर वह पूछ ले हमसे, क्यूँ बातें कम करदी?, क्यूँ हक़ जताना कम करदिया?
क्यूँ अब मेरी गली में नहीं आते?
क्यूँ अब नज़रे मिला के नहीं मिलाते?
अगर वह पूछ ले हमसे, अगर वह पूछ ले हमसे
अगर वह पूछ ले हमसे, क्यूँ शामें अब मेरी आँखों में डूबती हैं?
क्यूँ चाँद तन्हा डूबा करता है?
क्यूँ आवाज़े तन्हाई में गूँजती हैं तुम्हारी?
क्यूँ तस्वीर तुम्हारी हर जगह दिखती हैं तुम्हारी?
अगर वह पूछ ले हमसे अगर वह पूछ ले हमसे
क्यूँ ख्वाबों की ताबीर नहीं मिलती तुम्हारी?
क्यूँ अब कोई ख़बर नहीं मिलती तुम्हारी?
क्यूँ शब-ए-ग़म का जुनून रहता है?
क्यूँ बे-सुकून का सुकून रहता है?
अगर वह पूछ ले हमसे
अगर वह पूछ ले हमसे
क्यूँ ज़िन्दगी जीते नहीं गुज़ार रहे हो?
क्यूँ ख़्वाबों को अपने मार रहे हो?
क्या तुम्हें वाज़िद इतना अज़ीज़ हैं?
वो एक शख़्स इतना मज़ीद हैं
आओ उसे मिला दे तुम्हें
ताबीर दिखा दे तुम्हें
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