0
Ram Darshan - Volume 2 - Narci (Ft. Prem Bhushan Ji Maharaj)
0 0

Ram Darshan - Volume 2 Narci (Ft. Prem Bhushan Ji Maharaj)

На этой странице вы найдете полный текст песни "Ram Darshan - Volume 2" от Narci (Ft. Prem Bhushan Ji Maharaj). Lyrxo предлагает вам самый полный и точный текст этой композиции без лишних отвлекающих факторов. Узнайте все куплеты и припев, чтобы лучше понять любимую песню и насладиться ею в полной мере. Идеально для фанатов и всех, кто ценит качественную музыку.
Ram Darshan - Volume 2 - Narci (Ft. Prem Bhushan Ji Maharaj)
[Chorus: Prem Bhushan Ji Maharaj]
पता नहीं किस रूप में तहत मिलना मेरे राघव का
पता नहीं किस रूप में आकर खोलेंगे दरवाजा हां
पता नहीं कब कैसी लीला नारायण मेरे खेलेंगे
पता नहीं किस रूप में दर्शन राम मुझे मेरे देंगे

पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएंगे
कर्मों की मेरी नैया हल्की पार प्रभु ही लगाएंगे
पता नहीं किस रूप में आकर नारायण मिल जाएंगे
क्या पता मेरा हाथ पकड़ वो त्रेता में ले जाएंगे

[Verse 1: Narci]
सांस रुकी तेरे दर्शन को, न दुनिया में मेरा लगता मन
शबरी बनके बैठा हूँ मेरा श्री राम में अटका मन
बेक़रार मेरे दिल को मैं कितना भी समझा लूँ
राम दरस के बाद दिल छोड़ेगा ये धड़कन
काले युग प्राणी हूँ पर जीता हूँ मैं त्रेता युग
करता हूँ महसूस पलों को माना ना वो देखा युग
देगा युग कलि का ये पापों के उपहार कई
छंद मेरा पर गाने का हर प्राणी को देगा सुख
हरी कथा का वक्ता हूँ मैं, राम भजन की आदत
राम आभारी शायर, मिल जो रही है दावत
हरी कथा सुना के मैं छोड़ तुम्हें कल जाऊंगा
बाद मेरे न गिरने न देना हरी कथा विरासत
पाने को दीदार प्रभु के नैन बड़े ये तरसे हैं
जान सके न कोई वेदना रातों को ये बरसे हैं
किसे पता किस मौके पे, किस भूमि पे, किस कोने में
मेले में या वीराने में श्री हरी हमें दर्शन दे
Комментарии (0)
Минимальная длина комментария — 50 символов.
Информация
Комментариев пока нет. Вы можете быть первым!
Войти Зарегистрироваться
Войдите в свой аккаунт
И получите новые возможности