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An Epilogue of Hope Ft. Shloka - Epr Iyer (Ft. Shloka)
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An Epilogue of Hope Ft. Shloka Epr Iyer (Ft. Shloka)

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An Epilogue of Hope Ft. Shloka - Epr Iyer (Ft. Shloka)
अनिश्चितता
अनिश्चितता होती है किसी सूखे - मरे हुए घास वाले मैदान में एकाएक से बारिश का होना और फिर दिखे तुम्हें हरे रंग की चादर वहां दूर तक बिछी हुई

किसी पौधे पर निर्जीव से दिखने वाले उस कठोर खोल को अचानक एक दिन तोड़कर बाहर निकलती हुई रंग बिरंगी पंखों वाली तितली का दिख जाना है अनिश्चितता

अनिश्चितता है काले बादलों से भरी काली भादो की रात में एक पल के लिए चंद्रमा का दिखना और उसकी रौशनी में रौशन हो जाना तुम्हारा आंगन

अनिश्चित है‌ समुद्र , अनिश्चित है पहाड़ अनिश्चित है धरा अनिश्चित है आकाश
वक्त, व्यक्ति , विचार इस संसार में मृत्यु को छोड़कर सब कुछ है अनिश्चित

तो इतनी अनिश्चितताओं के बीच अपने लिए जो सुरंगनुमा अंधेरा रास्ता चुना है तुमने , उसी पर पूरे निश्चय से चलना है तुम्हें इस आस में की शायद इस सुरंग के दूसरी तरफ हो कोई सफेद चमकदार उम्मीदों से भरी रौशनी
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