(Verse - 1)
हे राम, तेरी माया
जग में बड़ी ही निराली
मानव आता खाली हाथ
और जाता भी है खाली
सांसारिक इस दुनिया में
किसी ने कुछ न पाया है
जगत में कमाया धन
यही पर रह जाता है
सांसारिक दुनिया जाल है
अजीब गोरख धंधा बस
तू 4 लोगों की सोचता
वो 4 देंगे कंधा बस
माया के इस जाल में बस
कर्म होंगे तेरे साथ
दुनिया के लोगों से मिलके
क्यों होता है तू निराश
ऐसी ही ये दुनिया है
माया में फंसे लोग हैं
माया की करते बात है
माया का ही तो खेल है
हे राम, तेरी माया
जग में बड़ी ही निराली
मानव आता खाली हाथ
और जाता भी है खाली
सांसारिक इस दुनिया में
किसी ने कुछ न पाया है
जगत में कमाया धन
यही पर रह जाता है
सांसारिक दुनिया जाल है
अजीब गोरख धंधा बस
तू 4 लोगों की सोचता
वो 4 देंगे कंधा बस
माया के इस जाल में बस
कर्म होंगे तेरे साथ
दुनिया के लोगों से मिलके
क्यों होता है तू निराश
ऐसी ही ये दुनिया है
माया में फंसे लोग हैं
माया की करते बात है
माया का ही तो खेल है
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