[Verse 1]
राधे-कृष्ण की ज्योति अलौकिक
तीनों लोक में छाए रही है
भक्ति विवश एक प्रेम पुजारिन
फिर भी दीप जलाए रही है
[Chorus]
कृष्ण को गोकुल से, राधे को...
कृष्ण को गोकुल से, राधे को
बरसाने से बुलाए रही है
[Verse 2]
दोनों करो स्वीकार कृपा कर
जोगन आरती गाए रही है
दोनों करो स्वीकार कृपा कर
जोगन आरती गाए रही है
[Instrumental-break]
[Verse 3]
भोर भए ते साँझ ढले तक
सेवा कौन इतनेम हमारो
स्नान कराए वो, वस्त्र ओढ़ाए वो
भोग लगाए वो लागत प्यारो
[Chorus]
कब ते निहारत आप की ओर
कब ते निहारत आप की ओर
कि आप हमारी ओर निहारो
राधे-कृष्ण की ज्योति अलौकिक
तीनों लोक में छाए रही है
भक्ति विवश एक प्रेम पुजारिन
फिर भी दीप जलाए रही है
[Chorus]
कृष्ण को गोकुल से, राधे को...
कृष्ण को गोकुल से, राधे को
बरसाने से बुलाए रही है
[Verse 2]
दोनों करो स्वीकार कृपा कर
जोगन आरती गाए रही है
दोनों करो स्वीकार कृपा कर
जोगन आरती गाए रही है
[Instrumental-break]
[Verse 3]
भोर भए ते साँझ ढले तक
सेवा कौन इतनेम हमारो
स्नान कराए वो, वस्त्र ओढ़ाए वो
भोग लगाए वो लागत प्यारो
[Chorus]
कब ते निहारत आप की ओर
कब ते निहारत आप की ओर
कि आप हमारी ओर निहारो
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