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Us Mod Se Shuroo Karen - Jagjit Singh & Chitra Singh
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Us Mod Se Shuroo Karen Jagjit Singh & Chitra Singh

"Us Mod Se Shuroo Karen" by Jagjit Singh & Chitra Singh is a poignant ghazal from the late 1980s, exploring themes of love, nostalgia, and new beginnings. The lyrics express a longing to start anew in a relationship, blending deep emotion with melodic simplicity. Its unique blend of traditional instruments enhances its cultural resonance, making it a timeless classic. #Ghazal

Us Mod Se Shuroo Karen - Jagjit Singh & Chitra Singh
[Chorus]
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी
हर शय जहाँ हसीन थी, हम-तुम थे अजनबी
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी

[Verse 1]
लेकर चले थे हम जिन्हें जन्नत के ख़्वाब थे
लेकर चले थे हम जिन्हें जन्नत के ख़्वाब थे
फूलों के ख़्वाब थे वो, मुहब्बत के ख़्वाब थे

[Chorus]
लेकिन कहाँ है इनमें वो, पहली सी दिलकशी
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी

[Verse 2]
रहते थे हम हसीन ख़यालों की भीड़ में
रहते थे हम हसीन ख़यालों की भीड़ में
उलझे हुए हैं आज सवालों की भीड़ में
आने लगी है याद वो फ़ुर्सत की हर घड़ी

[Chorus]
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी
हर शय जहाँ हसीन थी, हम-तुम थे अजनबी
उस मोड़ से शुरू करें फिर ये ज़िंदगी
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