[Verse 1]
नज़र तेरी तूफ़ान है, फिसल रहा ईमान है
कि रात हम से कह रही, "आ, चुप को तोड़ दें"
हाँ, हम ज़रा मदहोश हैं, हाँ, तू ज़रा हैरान है
कि रात हम से कह रही, "तक़ल्लुफ़ छोड़ दे"
[Chorus]
कि तेरे घर में ख़ाली सी है जो जगह
उसमें मुझे राज़ सा रह जाने दे
कि तेरे दिल में ख़ाली सी है जो जगह
उसमें मुझे राज़ सा रह जाने दे
[Verse 2]
सँभलना है मुश्किल ज़रा, बिखरना भी आसान है
कि रात हम से कह रही, "आ, चुप को तोड़ दें"
ये वक़्त जैसे थम गया, ये तुझमें-मुझमें गुम गया
ये होंठ जैसे ही मिले, बचा-कुचा वहम गया
[Verse 3]
कि रात भर हम ढूँढ के सुबह कहीं से लाएँगे
सुबह की धूप में पिघल के कुछ क़रीब आएँगे
नई-नई है ये, मगर हसीन सी पहचान है
कि रात हम से कह रही, "तक़ल्लुफ़ छोड़ दें"
[Chorus]
कि तेरे घर में ख़ाली सी है जो जगह
उसमें मुझे राज़ सा रह जाने दे
कि तेरे दिल में ख़ाली सी है जो जगह
उसमें मुझे राज़ सा रह जाने दे
नज़र तेरी तूफ़ान है, फिसल रहा ईमान है
कि रात हम से कह रही, "आ, चुप को तोड़ दें"
हाँ, हम ज़रा मदहोश हैं, हाँ, तू ज़रा हैरान है
कि रात हम से कह रही, "तक़ल्लुफ़ छोड़ दे"
[Chorus]
कि तेरे घर में ख़ाली सी है जो जगह
उसमें मुझे राज़ सा रह जाने दे
कि तेरे दिल में ख़ाली सी है जो जगह
उसमें मुझे राज़ सा रह जाने दे
[Verse 2]
सँभलना है मुश्किल ज़रा, बिखरना भी आसान है
कि रात हम से कह रही, "आ, चुप को तोड़ दें"
ये वक़्त जैसे थम गया, ये तुझमें-मुझमें गुम गया
ये होंठ जैसे ही मिले, बचा-कुचा वहम गया
[Verse 3]
कि रात भर हम ढूँढ के सुबह कहीं से लाएँगे
सुबह की धूप में पिघल के कुछ क़रीब आएँगे
नई-नई है ये, मगर हसीन सी पहचान है
कि रात हम से कह रही, "तक़ल्लुफ़ छोड़ दें"
[Chorus]
कि तेरे घर में ख़ाली सी है जो जगह
उसमें मुझे राज़ सा रह जाने दे
कि तेरे दिल में ख़ाली सी है जो जगह
उसमें मुझे राज़ सा रह जाने दे
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