[Intro]
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
[Verse 1]
मुझे ख़ुद के दम पर यहाँ पर रख दिया था
बहुत से दिन ऐसे निकल गए जिनमें कुछ दिखाने लायक नहीं था
[Pre-Chorus]
और जिस शहर को हम प्यार करते थे, उसकी दीवारें बिखर रहीं
स्लेटी बादल आसमान पर छा कर ऊपर से अंधेरा कर रहे हैं
[Chorus]
पर अगर तुम अपनी आँखें बंद करो, तुम्हें क्या ऐसा लगता है कि कुछ भी नहीं बदला?
और अगर तुम अपनी आँखें बंद करो, तुम्हें क्या ऐसा लगता है कि तुम यहाँ पर पहले भी आ चुके हो?
मैं इसके बारे में आशावादी कैसे बनूँगा?
मैं इसके बारे में आशावादी कैसे बनूँगा?
[Verse 2]
हम अपनी सभी बुराइयों में फँसे हुए थे और खोए हुए थे
और तुम्हारी मुद्राओं में, जैसे ही धूल हमारे चारों ओर जमा होती गई
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
Eh, eheu, eheu
[Verse 1]
मुझे ख़ुद के दम पर यहाँ पर रख दिया था
बहुत से दिन ऐसे निकल गए जिनमें कुछ दिखाने लायक नहीं था
[Pre-Chorus]
और जिस शहर को हम प्यार करते थे, उसकी दीवारें बिखर रहीं
स्लेटी बादल आसमान पर छा कर ऊपर से अंधेरा कर रहे हैं
[Chorus]
पर अगर तुम अपनी आँखें बंद करो, तुम्हें क्या ऐसा लगता है कि कुछ भी नहीं बदला?
और अगर तुम अपनी आँखें बंद करो, तुम्हें क्या ऐसा लगता है कि तुम यहाँ पर पहले भी आ चुके हो?
मैं इसके बारे में आशावादी कैसे बनूँगा?
मैं इसके बारे में आशावादी कैसे बनूँगा?
[Verse 2]
हम अपनी सभी बुराइयों में फँसे हुए थे और खोए हुए थे
और तुम्हारी मुद्राओं में, जैसे ही धूल हमारे चारों ओर जमा होती गई
Comments (0)
The minimum comment length is 50 characters.