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Raat Ka Nasha - K.S. Chithra
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Raat Ka Nasha K.S. Chithra

Raat Ka Nasha - K.S. Chithra
रात का नशा अभी आँख से गया नहीं
रात का नशा अभी आँख से गया नहीं

तेरा नशीला बदन बाहों ने छोड़ा नहीं
आँखें तो खोली मगर सपना वोह तोडा नहीं
हाँ वोही वोह वोही
साँसों पे रखा हुआ तेरे होटों का सपना अभी है वही

रात का नशा अभी आँख से गया नहीं
रात का नशा अभी आँख से गया नहीं

तेरे बिना भी कभी तुझसे मचल लेती हूँ
करवट बदलती हूँ तो सपना बदल लेती हूँ

तेरे बिना भी कभी तुझसे मचल लेती हूँ
करवट बदलती हूँ तो सपना बदल लेती हूँ
तेरा ख्याल आये तो बलखाके पल जाता है
पानी के चादर तले दम मेरा जल जाता है
हाँ वोही वोह वोही
साँसों पे रखा हुआ तेरे होटों का सपना अभी है वही

रात का नशा अभी आँख से गया नहीं
रात का नशा अभी आँख से गया नहीं

तेरे गले मिलने के मौसम बड़े होते हैं
जन्मों का वादा कोई यह ग़म बड़े छोटे हैं
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