[Seedhe Maut "Kavi" के बोल]
[Intro: Encore ABJ]
समझा क्या तू, जो— (Hmh!)
समझा क्या तू, जो मैंने लिखा? (जो मैंने लिखा)
तो फिर बता (बोल!), मैं केहरा हूँ क्या?
[Chorus: Encore ABJ]
सुना क्या तू, जो मैंने कहा? (Huh!)
समझा क्या तू, कवि केहरा है क्या? (Shit!)
पढ़ा ना तू जो, वो है मेरी ज़बान (मेरी ज़बान)
तो फिर बता, कवि केहरा है क्या?
[Verse 1: Encore ABJ]
खुदको घसीटा कोने तक, अब खाए है असमझस
नही पता के पाले में मेरे कुआं या खाई
है पर उम्मीद है कि पक्का होनी ही है चढ़ाई
इतना तो क्रूर ना होगा ऊपरवाला, की है मेहनत
माँ बोली, "चल चुप कर, सोजा" (Aanh!)
ना माँ, ना कर फिकर, नहीं-नहीं
रखूं खुद का जिगर सही-सही
जगा कभी बुरी जगह होगा ज़िकर नहीं
झूठ कहा, ज़िकर होगा हर कहीं
जाके ढूंढ़ दवा लेकिन अर्थ नहीं
है किसीने ख़ूब कहा
"जहाँ होता दर्द नहीं, वहाँ पे है दर्द, दवा"
चाहा कहना मैंने तुझसे है ये कित्ती मर्तबा
[Intro: Encore ABJ]
समझा क्या तू, जो— (Hmh!)
समझा क्या तू, जो मैंने लिखा? (जो मैंने लिखा)
तो फिर बता (बोल!), मैं केहरा हूँ क्या?
[Chorus: Encore ABJ]
सुना क्या तू, जो मैंने कहा? (Huh!)
समझा क्या तू, कवि केहरा है क्या? (Shit!)
पढ़ा ना तू जो, वो है मेरी ज़बान (मेरी ज़बान)
तो फिर बता, कवि केहरा है क्या?
[Verse 1: Encore ABJ]
खुदको घसीटा कोने तक, अब खाए है असमझस
नही पता के पाले में मेरे कुआं या खाई
है पर उम्मीद है कि पक्का होनी ही है चढ़ाई
इतना तो क्रूर ना होगा ऊपरवाला, की है मेहनत
माँ बोली, "चल चुप कर, सोजा" (Aanh!)
ना माँ, ना कर फिकर, नहीं-नहीं
रखूं खुद का जिगर सही-सही
जगा कभी बुरी जगह होगा ज़िकर नहीं
झूठ कहा, ज़िकर होगा हर कहीं
जाके ढूंढ़ दवा लेकिन अर्थ नहीं
है किसीने ख़ूब कहा
"जहाँ होता दर्द नहीं, वहाँ पे है दर्द, दवा"
चाहा कहना मैंने तुझसे है ये कित्ती मर्तबा
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