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Kundalini - Uniq Poet
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Kundalini Uniq Poet

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Kundalini - Uniq Poet
[Verse]
मूलाधारमा मेरा मरेका सपनाहरु को लासबाट निकलिदै गरेका आत्माहरू
स्वादिस्तान मा जन्मेका मेरा नयाँ सपनाहरूको आत्मालाई बटुल्दै माथि प्रस्थान गर्न थाले
मनीपुरको मण्डलामा एकछिन विश्राम गर्दै मनको अनाहत धुनका वाणी सुन्न ति आत्माहरू
स्वर्गको खुड्किला चदेझै माथि उक्लिए
ति आत्माहरूलाई आफ्नो स्थान छोडी जान त कहाँ मन छ र? अनेकथरी कर्मका बोझहरुले चेपिएका छन
स्रोतमा बिलिन हुन पाउने मौका पाएता पनि आत्तेका छन
चिच्याउँछन् कराउँछन् सायद पुराना कर्महरूका पाप्रा उप्काउँदा गाह्रो भएर होला
विशुद्ध हुन कहाँ सजिलो छ र?
बल्ल बल्ल हलुँगा भए ति आत्माहरू
तैरिन थाले, माथि माथि एकअर्कासँग जोडिन थाले
पुरानो अस्तित्व खरानी पारी एउटै ज्योति बनि चमकिऊ भनी आज्ञा आए जस्तो
ज्योति जति बढ्दै गयो त्यति नै सहर्ष दिशातर्फ फैलियो
ब्रह्माण्डै ढाक्यो र भन्यो अहं ब्रह्मास्मि अहं ब्रह्मास्मि
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