0
Shayad Main Zindagi Ki Sahar - Jagjit Singh
0 0

Shayad Main Zindagi Ki Sahar Jagjit Singh

Shayad Main Zindagi Ki Sahar - Jagjit Singh
शायद मैं ज़िंदगी की सहर लेके आ गया
शायद मैं ज़िंदगी की सहर लेके आ गया
क़ातिल को आज अपने ही घर लेके आ गया
शायद मैं ज़िंदगी की सहर लेके आ गया

ता-उम्र ढूँढता रहा मंज़िल मैं इश्क़ की
ता-उम्र ढूँढता रहा मंज़िल मैं इश्क़ की
अंजाम ये के गर्द-ए-सफ़र लेके आ गया
अंजाम ये के गर्द-ए-सफ़र लेके आ गया
क़ातिल को आज अपने ही घर लेके आ गया

नश्तर है मेरे हाथ में, कांधों पे मैक़दा
नश्तर है मेरे हाथ में, कांधों पे मैक़दा
लो मैं इलाज-ए-दर्द-ए-जिगर लेके आ गया
लो मैं इलाज-ए-दर्द-ए-जिगर लेके आ गया
क़ातिल को आज अपने ही घर लेके आ गया

फ़ाकिर सनमकदे में न आता मैं लौटकर
'फ़ाकिर' सनमकदे में न आता मैं लौटकर
इक ज़ख़्म भर गया था इधर लेके आ गया
इक ज़ख़्म भर गया था इधर लेके आ गया

शायद मैं ज़िंदगी की सहर लेके आ गया
क़ातिल को आज अपने ही घर लेके आ गया
Comments (0)
The minimum comment length is 50 characters.
Information
There are no comments yet. You can be the first!
Login Register
Log into your account
And gain new opportunities
Forgot your password?