0
Mere Desh Ki Dharti - Mahendra Kapoor
0 0

Mere Desh Ki Dharti Mahendra Kapoor

Mere Desh Ki Dharti - Mahendra Kapoor
मेरे देश की धरती...
ओ, मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती
मेरे देश की धरती...
(मेरे देश की धरती...)

(मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती)
(मेरे देश की धरती...)
(मेरे देश की धरती...)

बैलों के गले में जब घुँघर जीवन का राग सुनाते हैं
(जीवन का राग सुनाते हैं)
गम कोसों दूर हो जाता है, खुशियों के कँवल मुसकाते हैं
(खुशियों के कँवल मुसकाते हैं)

सुन के रहट की आवाज़ें...
सुन के रहट की आवाज़ें, यूँ लगे कहीं शहनाई बजे
(यूँ लगे कहीं शहनाई बजे)
आते ही मस्त बहारों के दुल्हन की तरह हर खेत सजे
(दुल्हन की तरह हर खेत सजे)

ओ, मेरे देश की धरती...
ओ, मेरे देश की धरती सोना उगले, उगले हीरे-मोती
ओ, मेरे देश की धरती...
(मेरे देश की धरती...)

जब चलते हैं इस धरती पे हल, ममता अँगड़ाइयाँ लेती है
(ममता अँगड़ाइयाँ लेती है)
क्यूँ ना पूजें इस माटी को, जो जीवन का सुख देती है
(जो जीवन का सुख देती है)
Comments (0)
The minimum comment length is 50 characters.
Information
There are no comments yet. You can be the first!
Login Register
Log into your account
And gain new opportunities
Forgot your password?