
Tere Khat (Nazm) Jagjit Singh
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[Intro]
जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाए रखा
जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा
दीन जिनको, जिन्हें ईमान बनाए रखा
[Verse 1]
तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे
साल-हा-साल मेरे नाम बराबर लिखे
कभी दिन में तो कभी रात को उठकर लिखे
[Verse 2]
तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे?
प्यार में डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे?
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे?
[Outro]
तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ
जिनको दुनिया की निगाहों से छुपाए रखा
जिनको इक उम्र कलेजे से लगाए रखा
दीन जिनको, जिन्हें ईमान बनाए रखा
[Verse 1]
तूने दुनिया की निगाहों से जो बचकर लिखे
साल-हा-साल मेरे नाम बराबर लिखे
कभी दिन में तो कभी रात को उठकर लिखे
[Verse 2]
तेरे ख़ुशबू में बसे ख़त मैं जलाता कैसे?
प्यार में डूबे हुए ख़त मैं जलाता कैसे?
तेरे हाथों के लिखे ख़त मैं जलाता कैसे?
[Outro]
तेरे ख़त आज मैं गंगा में बहा आया हूँ
आग बहते हुए पानी में लगा आया हूँ
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