0
Aye Khuda Ret Ke Sehra Ko Samandar Karde - Jagjit Singh
0 0

Aye Khuda Ret Ke Sehra Ko Samandar Karde Jagjit Singh

Aye Khuda Ret Ke Sehra Ko Samandar Karde - Jagjit Singh
ऐ ख़ुदा, रेत के सहरा को समंदर कर दे
ऐ ख़ुदा, रेत के सहरा को समंदर कर दे
या छलकती हुईं आँखों को भी पत्थर कर दे
ऐ ख़ुदा, रेत के सहरा को समंदर कर दे

तुझ को देखा नहीं, महसूस किया है मैंने
तुझ को देखा नहीं, महसूस किया है मैंने
आ, किसी दिन मेरे एहसास को पैकर कर दे
या छलकती हुईं आँखों को भी पत्थर कर दे
ऐ ख़ुदा, रेत के सहरा को समंदर कर दे

और कुछ भी मुझे दरकार नहीं है, लेकिन
और कुछ भी मुझे दरकार नहीं है, लेकिन
मेरी चादर मेरे पैरों के बराबर कर दे
या छलकती हुईं आँखों को भी पत्थर कर दे
ऐ ख़ुदा, रेत के सहरा को समंदर कर दे
Comments (0)
The minimum comment length is 50 characters.
Information
There are no comments yet. You can be the first!
Login Register
Log into your account
And gain new opportunities
Forgot your password?