0
O’meri Laila - Radio Version - Joi Barua
0 0

O’meri Laila - Radio Version Joi Barua

На этой странице вы найдете полный текст песни "O’meri Laila - Radio Version" от Joi Barua. Lyrxo предлагает вам самый полный и точный текст этой композиции без лишних отвлекающих факторов. Узнайте все куплеты и припев, чтобы лучше понять любимую песню и насладиться ею в полной мере. Идеально для фанатов и всех, кто ценит качественную музыку.
O’meri Laila - Radio Version - Joi Barua
पत्ता अनारों का, पत्ता चिनारों का जैसे हवाओं में
ऐसे भटकता हूँ, दिन-रात दिखता हूँ मैं तेरी राहों में
मेरे गुनाहों में, मेरे सवाबों में शामिल तू
भूली अठन्नी सी, बचपन के कुरते में से मिल तू

कैसे बताऊँ बातें मैं लैला?
रखी है दिल में छुपा के जो लैला
कैसे बताऊँ? कैसे बताऊँ लैला?
मजनू कहीं ना हो जाऊँ मैं लैला
झूमूँ मैं, नाचूँ मैं, गाऊँ मैं लैला
रंग में तेरे मलंग फिरूँ मैं लैला

ओ, मेरी लैला, लैला, क्या करूँ मैं लैला?
झूमूँ मैं, नाचूँ मैं, गाऊँ मैं लैला
ओ, मेरी लैला, लैला, क्या करूँ मैं लैला?
रंग में तेरे मलंग फिरूँ मैं लैला

शोख़ियाँ निगाहों में, आ मेरे दिल की तू दरगाहों में
मिल गले हक़ीक़त में, शहर के रास्तों-चौराहों में

शहर खाली ये सारा किसी दिन तो हो
सारे झंझट-मुसीबत हवस बिन तो हो
आजकल मैं रहता हूँ तनहाई में ये सोचता

कैसे बताऊँ बातें मैं लैला?
रखी है दिल में छुपा के जो लैला
कैसे बताऊँ? कैसे बताऊँ लैला?
मजनू कहीं ना हो जाऊँ मैं लैला
झूमूँ मैं, नाचूँ मैं, गाऊँ मैं लैला
रंग में तेरे मलंग फिरूँ मैं लैला
Комментарии (0)
Минимальная длина комментария — 50 символов.
Информация
Комментариев пока нет. Вы можете быть первым!
Войти Зарегистрироваться
Войдите в свой аккаунт
И получите новые возможности