ओ राजाजी, ओ महाराजाजी
नैना चुगल खोर राजाजी
ओ महाराजाजी
नैना चुगल खोर राजाजी
मन की रूनझुन छुप ना पाए
मन की रूनझुन छुप ना पाए
खनक खनक खनके नैना
बडी अजब है रीत प्रीत की
बिन बोले सब कुछ कहना
कुनकुनी सी धूप बिखरी
कुनकुनी सी धूप बिखरी जाए रे
मनवा कुहु कुहु बौराए रे
ओ राजाजी, नैना चुगल खोर राजाजी
ओ महाराजाजी, नैना हैं चितचोर राजाजी

राजाजी, राजाजी
राजाजी, महाराजाजी
सिन्दूर घोर नहीं ओर छोर
बांधे कैसे ये डोर
धडकन में ताल सपने गुलाल
ये कैसा हाल राजाजी
राजाजी, ओ राजाजी
तेरा ध्यान भी छैल छबीला
तेरा ध्यान भी छैल छबीला
लचक मचक के आए रे
मन खुद से ही बातें करके
मन ही मन मुस्काए रे
हो कुनकुनी सी धूप बिखरी, हाए
कुनकुनी सी धूप बिखरी जाए रे
मनवा कुहू कुहु बौराए रे
ओ राजाजी, नैना चुगल खोर राजाजी
ओ महाराजाजी, नैना चुगल खोर राजाजी
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