
Sheher Swanand Kirkire
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एक बखत की बात बताएँ, एक बखत की
जब शहर हमारो सो गयो थो, वो रात गजब की
एक बखत की बात बताएँ, एक बखत की
जब शहर हमारो सो गयो थो, वो रात गजब की
हे, चहूँ ओर सब ओर दिशा से लाली छाई रे
जुगनी नाचे चुनर ओढ़े खून नहाई रे
चहूँ ओर सब ओर दिशा से लाली छाई रे
जुगनी नाचे चुनर ओढ़े खून नहाई रे
सब ओरो गुल्लाल पुत गयो, सब ओरो में
हे, सब ओरो गुल्लाल पुत गयो बिपदा छाई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
सराबोर हो गयो सहर और सराबोर हो गई धरा
सराबोर हो गयो रे जत्था इंसानो का पड़ा-पड़ा
सभी जगत ये पूछे था, जब इतना सब कुछ हो रियो थो
तो सहर हमारो काईं-बाईसा आँख मूँद कै सो रयो थो
तो सहर ये बोल्यो नींद गजब की ऐसी आई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात शहर में खून की बारिश आई रे
जिस रात शहर में खून की बारिश आई रे
जब शहर हमारो सो गयो थो, वो रात गजब की
एक बखत की बात बताएँ, एक बखत की
जब शहर हमारो सो गयो थो, वो रात गजब की
हे, चहूँ ओर सब ओर दिशा से लाली छाई रे
जुगनी नाचे चुनर ओढ़े खून नहाई रे
चहूँ ओर सब ओर दिशा से लाली छाई रे
जुगनी नाचे चुनर ओढ़े खून नहाई रे
सब ओरो गुल्लाल पुत गयो, सब ओरो में
हे, सब ओरो गुल्लाल पुत गयो बिपदा छाई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
सराबोर हो गयो सहर और सराबोर हो गई धरा
सराबोर हो गयो रे जत्था इंसानो का पड़ा-पड़ा
सभी जगत ये पूछे था, जब इतना सब कुछ हो रियो थो
तो सहर हमारो काईं-बाईसा आँख मूँद कै सो रयो थो
तो सहर ये बोल्यो नींद गजब की ऐसी आई रे
जिस रात गगन से खून की बारिश आई रे
जिस रात शहर में खून की बारिश आई रे
जिस रात शहर में खून की बारिश आई रे
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