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Hum Kis Galli Jaa Rahe Hai - Atif Aslam
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Hum Kis Galli Jaa Rahe Hai Atif Aslam

Hum Kis Galli Jaa Rahe Hai - Atif Aslam
हम किस गली जा रहे हैं
हम किस गली जा रहे हैं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं

अरमानों की अंजुमन में
बेसुध है अपनी लगन में
अपना कोई फ़साना नहीं
अपना कोई फ़साना नहीं

इक अजनबी सा चेहरा रहता है मेरी नज़र में
इक दर्द आके ठहरा दिन-रात दर्द-ए-जिगर में
इक अजनबी सा चेहरा रहता है मेरी नज़र में
इक दर्द आके ठहरा दिन-रात दर्द-ए-जिगर में

जागी है कैसी तलब सी! ये आरज़ू है अजब सी!
लेकिन किसो को बताना नहीं
लेकिन किसो को बताना नहीं

हम किस गली जा रहे हैं
हम किस गली जा रहे हैं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं

बेताबियाँ हैं पल-पल, छाया ये कैसा नशा है!
ख़ामोशियों में सदा होश भी गुमशुदा है
बेताबियाँ हैं पल-पल, छाया ये कैसा नशा है!
ख़ामोशियों में सदा होश भी गुमशुदा है
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