हम किस गली जा रहे हैं
हम किस गली जा रहे हैं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अरमानों की अंजुमन में
बेसुध है अपनी लगन में
अपना कोई फ़साना नहीं
अपना कोई फ़साना नहीं
इक अजनबी सा चेहरा रहता है मेरी नज़र में
इक दर्द आके ठहरा दिन-रात दर्द-ए-जिगर में
इक अजनबी सा चेहरा रहता है मेरी नज़र में
इक दर्द आके ठहरा दिन-रात दर्द-ए-जिगर में
जागी है कैसी तलब सी! ये आरज़ू है अजब सी!
लेकिन किसो को बताना नहीं
लेकिन किसो को बताना नहीं
हम किस गली जा रहे हैं
हम किस गली जा रहे हैं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं
बेताबियाँ हैं पल-पल, छाया ये कैसा नशा है!
ख़ामोशियों में सदा होश भी गुमशुदा है
बेताबियाँ हैं पल-पल, छाया ये कैसा नशा है!
ख़ामोशियों में सदा होश भी गुमशुदा है
हम किस गली जा रहे हैं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अरमानों की अंजुमन में
बेसुध है अपनी लगन में
अपना कोई फ़साना नहीं
अपना कोई फ़साना नहीं
इक अजनबी सा चेहरा रहता है मेरी नज़र में
इक दर्द आके ठहरा दिन-रात दर्द-ए-जिगर में
इक अजनबी सा चेहरा रहता है मेरी नज़र में
इक दर्द आके ठहरा दिन-रात दर्द-ए-जिगर में
जागी है कैसी तलब सी! ये आरज़ू है अजब सी!
लेकिन किसो को बताना नहीं
लेकिन किसो को बताना नहीं
हम किस गली जा रहे हैं
हम किस गली जा रहे हैं
अपना कोई ठिकाना नहीं
अपना कोई ठिकाना नहीं
बेताबियाँ हैं पल-पल, छाया ये कैसा नशा है!
ख़ामोशियों में सदा होश भी गुमशुदा है
बेताबियाँ हैं पल-पल, छाया ये कैसा नशा है!
ख़ामोशियों में सदा होश भी गुमशुदा है
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