0
Dilnawaz - The Local Train
0 0

Dilnawaz The Local Train

Dilnawaz - The Local Train
[Verse 1]
फिरसे वही यह समा
चेहरे वही
बदली जुबां
खुदगर्ज़ है ये दस्तूर इ जहां
आए ग़म इ दोस्त तू है कहाँ
सोचता हु क्यों चेहरा है नक़ाब
अजनबी है तू फिर कौन दिलनवाज़
ना मिला है वो सुकून ए दिल
मिला जहां

[Verse 2]
है कश्मकश बेइन्तेहाँ
यह सिलसिले क्यों खामखा
खली है दिल अपने ऊँचे मकान
आए ग़म इ दोस्त तू है कहाँ
सोचता हु क्यों चेहरा है नक़ाब
अजनबी है तू फिर कौन दिलनवाज़
ना मिला है वो सुकून ए दिल
मिला जहां

[Verse 3]
रस्ते वहि और हम रवा
खुदगर्ज हे ए दस्तुरे जहा
ए गमे दोस्त तु हे कहाँ
सोचता हु क्यों चेहरा है नक़ाब
अजनबी है तू फिर कौन दिलनवाज़
ना मिला है वो सुकून ए दिल
मिला जहां
Comments (0)
The minimum comment length is 50 characters.
Information
There are no comments yet. You can be the first!
Login Register
Log into your account
And gain new opportunities
Forgot your password?