देह शिवा बरु मोहि इहै
देह शिवा बरु मोहि इहै
सुभ करमन ते कबहूं न टरों
कबहूं न टरों
न डरों अरि सो जब जाय लरों
निसचै करि अपुनी जीत करों
जीत करों
न डरों अरि सो...
अरु सिख हों अपने ही मन कौ
अरु सिख हों अपने ही मन कौ
इह लालच हउ गुण तउ उचरों
गुण तउ उचरों
जब आव की अउध निदान बनै
अति ही रण मैं तब जूझ मरों
न डरों अरि सो...
देह शिवा बरु मोहि इहै
सुभ करमन ते कबहूं न टरों
कबहूं न टरों
न डरों अरि सो जब जाय लरों
निसचै करि अपुनी जीत करों
जीत करों
न डरों अरि सो...
अरु सिख हों अपने ही मन कौ
अरु सिख हों अपने ही मन कौ
इह लालच हउ गुण तउ उचरों
गुण तउ उचरों
जब आव की अउध निदान बनै
अति ही रण मैं तब जूझ मरों
न डरों अरि सो...
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