[Naration 1: Amitabh Bachchan]
गुज़र जायेगा, गुज़र जायेगा
मुश्कील बहुत है मगर वक्त ही तो है
गुज़र जायेगा, गुज़र जायेगा
जिंदा रहने का ये जो जज्बा है फिर उभर आयेगा
गुज़र जायेगा, गुज़र जायेगा
माना मौत चेहरा बदलकर आयी है
माना, मौत चेहरा बदलकर आयी है
माना रात काली है भयावह है गहराई है
लोग दरवाज़ों पे रास्तों पे रुके बैठे हैं
लोग दरवाज़ों पे रास्तों पे रुके बैठे हैं
कई घबराये हैं सहमे हैं छिपे बैठे हैं
मगर यक़ीन रख
मगर यक़ीन रख ये बस लम्हा है
दो पल में बिखर जायेगा
झिंदा रहने का ये जो जज़्बा है फिर असर लायेगा
मुश्कील बहुत है मगर वक्त ही तो है
गुज़र जायेगा, गुज़र जायेगा
[Verse 1]
बिन कहे कभी न कभी हकीकत लेती है इम्तिहान
पर खरे उतराने कि नसीहत देती भी तो है हाँ
बिन कहे कभी न कभी हकीकत लेती है इम्तिहान
पर खरे उतराने कि नसीहत देती भी तो है हाँ
उधड़ा जो पड़ा साहस ये सील जायेगा
देखते ही देखते राख से तू खिल पायेगा
गुज़र जायेगा, गुज़र जायेगा
मुश्कील बहुत है मगर वक्त ही तो है
गुज़र जायेगा, गुज़र जायेगा
जिंदा रहने का ये जो जज्बा है फिर उभर आयेगा
गुज़र जायेगा, गुज़र जायेगा
माना मौत चेहरा बदलकर आयी है
माना, मौत चेहरा बदलकर आयी है
माना रात काली है भयावह है गहराई है
लोग दरवाज़ों पे रास्तों पे रुके बैठे हैं
लोग दरवाज़ों पे रास्तों पे रुके बैठे हैं
कई घबराये हैं सहमे हैं छिपे बैठे हैं
मगर यक़ीन रख
मगर यक़ीन रख ये बस लम्हा है
दो पल में बिखर जायेगा
झिंदा रहने का ये जो जज़्बा है फिर असर लायेगा
मुश्कील बहुत है मगर वक्त ही तो है
गुज़र जायेगा, गुज़र जायेगा
[Verse 1]
बिन कहे कभी न कभी हकीकत लेती है इम्तिहान
पर खरे उतराने कि नसीहत देती भी तो है हाँ
बिन कहे कभी न कभी हकीकत लेती है इम्तिहान
पर खरे उतराने कि नसीहत देती भी तो है हाँ
उधड़ा जो पड़ा साहस ये सील जायेगा
देखते ही देखते राख से तू खिल पायेगा
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