तू चले, संग चलें सभी गुल
अपना है ये ख़याल, अपना है ये ख़याल
तू चले, संग चलें सभी गुल
अपना है ये ख़याल, अपना है ये ख़याल

है ऐसा लगे, वहाँ रोज़ खिलें गुल
जहाँ तेरा आना-जाना
है ऐसा लगे, गुल ग़लती से बन गए
रब ने था तुझे बनाना

ये महका मौसम, हुस्न का आलम
है तेरी ही परछाई
अपना है ये ख़याल, अपना है ये ख़याल
तू चले, संग चलें सभी गुल
अपना है ये ख़याल, अपना है ये ख़याल

जाना तेरा ख़याल, जाना तेरा क्या हाल
तेरे जिया की ताल सुरमई
आँखों में है शबाब, जैसे खिले गुलाब
देखें ऐसे ही ख़ाब हम कई

तेरे आने से यार, ऐसा आया निखार
जैसे आई बहार हो नई
तेरे होंठों के जाम पी लूँ सुबह-शाम
तू तो मेरा ही नाम हो गई
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