
Mangal Mangal Kailash Kher
На этой странице вы найдете полный текст песни "Mangal Mangal" от Kailash Kher. Lyrxo предлагает вам самый полный и точный текст этой композиции без лишних отвлекающих факторов. Узнайте все куплеты и припев, чтобы лучше понять любимую песню и насладиться ею в полной мере. Идеально для фанатов и всех, кто ценит качественную музыку.

सबने सुना रे
डंका बोले धुम धुम
जागो जागो अब तुम
नींद हो क्यूं तुम, ओ..
जागो रे जाओ
जागो रे
जागी जागी है धरती सारी
जागा जागा है अम्बर
जागी जागी है नदिया सारी
जागा जागा है सागर
जागो..
मंगल मंगल, मंगल मंगल, मंगल मंगल हो
मंगल मंगल, मंगल मंगल, मंगल मंगल हो
जागे नगर सारे
जागे है घर सारे
जागा है अब हर गांव
जागी है बगिया तो
जागे है पेड़ और
जागी है पेड़ों की छाव
मंगल मंगल, मंगल मंगल, मंगल मंगल हो
मंगल मंगल, मंगल मंगल, मंगल मंगल हो
भोर आवे जो गंगा नहाने
रात हर घाट से हट जाए
सूर्य किरणों की तलवार ताने
घोर अंधियारा सब कट जाए
कोई तट पे ही धूनी रमाए
कोई दर्शन को झट पट जाए
जो भी आवे मन की पावे
पाप सब जन्मों का धूल जाए
लेके करवट उठे फिर बजरिया
और धंधा सभी खुल जाए
लाला मुंशी पुजारी सिपहिया
हल्का भारी हर एक तूल जाए
जोगी लेके फिरे एक तारा
और बस अपने मन की गाए
खुले सभी के भाग का द्वारा
सभी खुशल मंगल हुई जाए
डंका बोले धुम धुम
जागो जागो अब तुम
नींद हो क्यूं तुम, ओ..
जागो रे जाओ
जागो रे
जागी जागी है धरती सारी
जागा जागा है अम्बर
जागी जागी है नदिया सारी
जागा जागा है सागर
जागो..
मंगल मंगल, मंगल मंगल, मंगल मंगल हो
मंगल मंगल, मंगल मंगल, मंगल मंगल हो
जागे नगर सारे
जागे है घर सारे
जागा है अब हर गांव
जागी है बगिया तो
जागे है पेड़ और
जागी है पेड़ों की छाव
मंगल मंगल, मंगल मंगल, मंगल मंगल हो
मंगल मंगल, मंगल मंगल, मंगल मंगल हो
भोर आवे जो गंगा नहाने
रात हर घाट से हट जाए
सूर्य किरणों की तलवार ताने
घोर अंधियारा सब कट जाए
कोई तट पे ही धूनी रमाए
कोई दर्शन को झट पट जाए
जो भी आवे मन की पावे
पाप सब जन्मों का धूल जाए
लेके करवट उठे फिर बजरिया
और धंधा सभी खुल जाए
लाला मुंशी पुजारी सिपहिया
हल्का भारी हर एक तूल जाए
जोगी लेके फिरे एक तारा
और बस अपने मन की गाए
खुले सभी के भाग का द्वारा
सभी खुशल मंगल हुई जाए
Комментарии (0)
Минимальная длина комментария — 50 символов.