[Intro]
पार्वती बोली शंकर से
पार्वती बोली शंकर से, सुनिए भोलेनाथ जी
रहना है हर इक जनम में मुझे तुम्हारे साथ, जी
वचन दीजिए, ना छोड़ेंगे कभी हमारा हाथ, जी
[Chorus]
ओ, भोलेनाथ जी, ओ, शंभुनाथ जी
ओ, भोलेनाथ जी, ओ, शंकरनाथ जी
ओ, भोलेनाथ जी, ओ, शंभुनाथ जी
ओ, भोलेनाथ जी, ओ, शंकरनाथ जी
[Instrumental-break]
[Verse]
जैसे मस्तक पे चंदा है, गंगा बसी जटाओं में
वैसे रखना, हे, अविनाशी, मुझे प्रेम की छाँव में
जैसे मस्तक पे चंदा है, गंगा बसी जटाओं में
वैसे रखना, हे, अविनाशी, मुझे प्रेम की छाँव में
कोई नहीं तुम सा तीनों लोकों में, दसों दिशाओं में
महलों से ज़्यादा सुख है कैलाश की खुली हवाओं में
[Pre-Chorus]
तुम हो जहाँ वहाँ होती है
तुम हो जहाँ वहाँ होती है अमृत की बरसात, जी
रहना है हर इक जनम में मुझे तुम्हारे साथ, जी
वचन दीजिए, ना छोड़ोगे कभी हमारा हाथ, जी
पार्वती बोली शंकर से
पार्वती बोली शंकर से, सुनिए भोलेनाथ जी
रहना है हर इक जनम में मुझे तुम्हारे साथ, जी
वचन दीजिए, ना छोड़ेंगे कभी हमारा हाथ, जी
[Chorus]
ओ, भोलेनाथ जी, ओ, शंभुनाथ जी
ओ, भोलेनाथ जी, ओ, शंकरनाथ जी
ओ, भोलेनाथ जी, ओ, शंभुनाथ जी
ओ, भोलेनाथ जी, ओ, शंकरनाथ जी
[Instrumental-break]
[Verse]
जैसे मस्तक पे चंदा है, गंगा बसी जटाओं में
वैसे रखना, हे, अविनाशी, मुझे प्रेम की छाँव में
जैसे मस्तक पे चंदा है, गंगा बसी जटाओं में
वैसे रखना, हे, अविनाशी, मुझे प्रेम की छाँव में
कोई नहीं तुम सा तीनों लोकों में, दसों दिशाओं में
महलों से ज़्यादा सुख है कैलाश की खुली हवाओं में
[Pre-Chorus]
तुम हो जहाँ वहाँ होती है
तुम हो जहाँ वहाँ होती है अमृत की बरसात, जी
रहना है हर इक जनम में मुझे तुम्हारे साथ, जी
वचन दीजिए, ना छोड़ोगे कभी हमारा हाथ, जी
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