
Manzil Na De Charagh Na De Jagjit Singh & Chitra Singh
На этой странице вы найдете полный текст песни "Manzil Na De Charagh Na De" от Jagjit Singh & Chitra Singh. Lyrxo предлагает вам самый полный и точный текст этой композиции без лишних отвлекающих факторов. Узнайте все куплеты и припев, чтобы лучше понять любимую песню и насладиться ею в полной мере. Идеально для фанатов и всех, кто ценит качественную музыку.

[Intro]
मंज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
मंज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
तिनके का ही सही तू मगर आसरा तो दे
मंज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
[Verse 1]
मैंने ये कब कहा के मेरे हक़ में हो जवाब
मैंने ये कब कहा के मेरे हक़ में हो जवाब
लेकिन ख़ामोश क्यूँ है तू
लेकिन ख़ामोश क्यूँ है तू कोई फ़ैसला तो दे
मंज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
[Verse 2]
बरसों मैं तेरे नाम पे खाता रहा फ़रेब
बरसों मैं तेरे नाम पे खाता रहा फ़रेब
मेरे ख़ुदा कहाँ है तू
मेरे ख़ुदा कहाँ है तू अपना पता तो दे
मंज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
[Verse 3]
बेशक मेरे नसीब पे रख अपना इख़्तियार
बेशक मेरे नसीब पे रख अपना इख़्तियार
लेकिन मेरे नसीब में
लेकिन मेरे नसीब में क्या है बता तो दे
मंज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
मंज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
मंज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
तिनके का ही सही तू मगर आसरा तो दे
मंज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
[Verse 1]
मैंने ये कब कहा के मेरे हक़ में हो जवाब
मैंने ये कब कहा के मेरे हक़ में हो जवाब
लेकिन ख़ामोश क्यूँ है तू
लेकिन ख़ामोश क्यूँ है तू कोई फ़ैसला तो दे
मंज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
[Verse 2]
बरसों मैं तेरे नाम पे खाता रहा फ़रेब
बरसों मैं तेरे नाम पे खाता रहा फ़रेब
मेरे ख़ुदा कहाँ है तू
मेरे ख़ुदा कहाँ है तू अपना पता तो दे
मंज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
[Verse 3]
बेशक मेरे नसीब पे रख अपना इख़्तियार
बेशक मेरे नसीब पे रख अपना इख़्तियार
लेकिन मेरे नसीब में
लेकिन मेरे नसीब में क्या है बता तो दे
मंज़िल न दे चराग़ न दे हौसला तो दे
Комментарии (0)
Минимальная длина комментария — 50 символов.